लेखनी प्रतियोगिता -12-Apr-2022 मेरे अरमान
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-मेरे अरमान
मेरे मन में है कुछ अरमान
जिनकी तलाश अब है विमान
इसमें बैठकर भरनी है उड़ान।
पर ना जाने क्यों
मां बाबूजी को लगते चंद दिनों के मेहमान
मेहमान तो रहते कुछ दिन के साथ
मेरे सपने हैं कब से है विराजमान
मेरी और उनके सपनों में क्यों है घमासान
मेरे मन में मेरे सपनों में जहां है सुनहरा
मेरे सपनों से जंग लड़ने का है पक्का इरादा
कहते हैं वो, मेरा मन है नादान
सपने, मेरी सच्चाई से हैं अनजान
बार-बार मैं यही कहती
मत रोको मुझे आज
बनने दो मुझे महान
आगे बढ़ने दो मेरे तरीकों से
जब मन है इनका मेजबान
करेगा स्वयं ही काम
अगर भरनी होगी उसको अपनी उड़ान
समझ ना पाऊं मैं
क्यों समझते नहीं मेरे अरमान
जब कहते हैं मैं हूं उनका अंश
वे मेरे जीवन का आधार
करूं मैं रोशन संसार
बनु मैं जीवन का आसार
कहलाऊ मैं भी महान।
Shrishti pandey
13-Apr-2022 09:11 AM
Nice
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Swati Sharma
13-Apr-2022 08:25 AM
बहुत सुंदर
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Punam verma
13-Apr-2022 12:04 AM
Nice
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